गरियाबंद / सर्वोच्च न्यायालय तथा बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली से प्राप्त निर्देशानुसार जेलों में निवासरत बंदियों का उम्र सत्यापन कराया जाता है। उम्र निर्धारण के संबंध में संदेह अथवा प्रक्रियागत त्रुटि के कारण बच्चे जेलों में निरूद्ध हो जाते हैं। जिनके उम्र का सत्यापन करने हेतुअधिवक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के पैनल को सम्मिलित कर जेलों का निरीक्षण प्रत्येक त्रैमास में किया जाता है। उक्त निर्देश के परिपालन में अशोक कुमार पाण्डेय, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग जिला गरियाबंद के मार्गदर्शन एवं अनिल द्विवेदी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई के समन्वय अनुसार जेल निरीक्षण समिति में शामिल शीला यादव (सामाजिक कार्यकर्ता) हेमराज दाऊ अधिवक्ता एवं शरदचंद निषाद (विधिक सह परिविक्षा अधिकारी) के द्वारा 29 जून को जिला जेल गरियाबंद का निरीक्षण किया गया। उप जेल गरियाबंद के सहायक जेल अधीक्षक व जेल प्रहरी निरीक्षण दौरान उपस्थित थे। निरीक्षण समिति द्वारा 07 बैरकों का निरीक्षण किया गया निरीक्षण समिति द्वारा प्रत्येक बंदियों से मुलाकात कर उनके वास्तविक आयु की जानकारी ली गई। जिसमें 18 वर्ष से कम उम्र के कोई बालक नहीं पाया गया, एक बंदी ने बताया कि घर में मेरे दो बच्चों का देखभाल करने के लिए कोई नहीं है। जेल निरीक्षण समिति द्वारा उक्त बंदी के 02 बच्चों का देखभाल एवं संरक्षण करने के संबंध में उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया है।