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*42 क्लस्टर के दो सौ से अधिक गांवों तक पहुंचा विकसित कृषि संकल्प रथ*

*अभियान के तहत किसानों को खेती के उन्नत तरीकों की दी जा रही जानकारी* 

*नई-नई तकनीकों, फसल चक्र परिवर्तन और उन्नत कृषि के बता रहे फायदे*

धमतरी, / विकसित कृषि संकल्प अभियान की संकल्पना को साकार एवं किसान, अनुसंधान और विज्ञान क मंच पर लाने के उद्देश्य से जिले में सित कृषि संकल्प अभियान चलाया जा रहा है। कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा के निर्देश पर कृषि वैज्ञानिकों-अधिकारियों की टीम 29 मई से प्रतिदिन जिले के क्लस्टर गांवों में जाकर चालू खरीफ मौसम में लगाई जाने वाली फसलों की उन्नत काश्त तकनीकों की जानकारी किसानों को दे रही है। अब तक 42 क्लस्टरों के 210 गांवों तक कृषि रथं पहुंच चुका है। किसानों को नई-नई तकनीकों, फसल चक्र परिवर्तन, उन्नत बीज के बारे में जानकारी दी जा रही है। साथ ही प्रगतिशील किसानों द्वारा भी खेती की उन्नत तकनीकें साझा की जा रहीं हैं। 

           


 जिले के नगरी एवं धमतरी विकासखण्ड के 12-12 क्लस्टरों में, मगरलोड विकासखण्ड के 10 क्लस्टरों में और कुरूद विकासखण्ड के 8 क्लस्टरों में यह कार्यक्रम आयोजित हो चुके हैं। इन कार्यक्रमों में अब तक 210 गांवों के लगभग दो हजार से अधिक किसानों ने कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा में भाग लिया है। विकसित कृषि संकल्प अभियान का मुख्य उद्देश्य किसानों को खरीफ फसलों के लिए वैज्ञानिक तकनीकी सुझाव प्रदान करना, नए कृषि तकनीकों का प्रसार करना, जैविक एवं प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार संतुलित उर्वरक उपयोग पर जागरूकता बढ़ाना है। इस अभियान के तहत किसानों को उन्नत कृषि यंत्रों जैसे सीड ड्रिल, प्लांटर मशीन, पैड़ी ट्रांसप्लांटर, ब्रॉड बेड परो मशीन का उपयोग बढ़ाने, ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन, समन्वित कृषि प्रणाली, बीज उपचार, जल संरक्षण, समन्वित कीट प्रबंधन, किसान क्रेडिट कार्ड, फसल चक्र परिवर्तन और लाभदायक पसलों के बारे में जानकारी दी जा रही है। अभियान के तहत किसानों को कृषि, पशुपालन, मछलीपालन, उद्यानिकी आदि विभागों की सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी जा रही है। गांवों के प्रगतिशील किसान भी इस दौरान अपने अनुभव साझा कर रहे हैं और दूसरों को नई कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जिले के उप संचालक मोनेश साहू ने बताया कि इस अभियान के दौरान विभागीय अधिकारी और वैज्ञानिक किसानों से फीडबैक भी ले रहे हैं। यह फीडबैक पारंपरिक ज्ञान, नवाचारी अनुभवों पर आधारित है। इस फीडबैंक का उपयोग कृषि क्षेत्र में अनुसंधान संस्थानों और जलवायु परिवर्तन के बीच खेती को लाभदायक तथा टिकाऊ बनाने के प्रयोगों में किया जाएगा।

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