नारायणा आरएन टैगोर अस्पताल, मुकुंदपुर ने चिकित्सा इतिहास में एक अनोखी उपलब्धि दर्ज करते हुए भूटान के एक युवक में अत्यंत दुर्लभ रक्तस्राव संबंधी आनुवंशिक विकार फैक्टर VII डेफिशिएंसी से पीड़ित मरीज का सफल किडनी प्रत्यारोपण किया। दुनिया भर में लगभग पचास लाख लोगों में केवल एक व्यक्ति में पाई जाने वाली इस बीमारी के साथ किसी मरीज में इस प्रकार का सफल प्रत्यारोपण पहली बार हुआ है।
विशेष बात यह रही कि मरीज का एकमात्र उपयुक्त दाता उसका पिता था, जो स्वयं भी इसी आनुवंशिक दोष का वाहक था। चिकित्सा, सर्जरी और नैतिक दृष्टि से अत्यंत जटिल इस मामले को अस्पताल की बहु-विषयक टीम ने महीनों की विस्तृत तैयारी, जोखिम मूल्यांकन और रियल-टाइम क्लॉटिंग मॉनिटरिंग के साथ सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
रीनल ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के कंसल्टेंट एवं चीफ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. दीपक शंकर रे ने बताया कि मामूली रक्तस्राव भी मरीज के लिए घातक हो सकता था। इसलिए एनेस्थीसिया से लेकर सर्जरी तक हर निर्णय क्लॉटिंग पैरामीटर के लगातार मूल्यांकन पर आधारित था। उन्होंने सर्जिकल टीम के डॉ. तरशिद अली जहांगीर और एनेस्थीसिया टीम की डॉ. तितिसा सरकार मित्रा के विशेष योगदान की सराहना की।
हेमाटोलॉजिस्ट डॉ. सिसिर कुमार पात्र ने कहा कि गंभीर फैक्टर VII डेफिशिएंसी के चलते सर्जरी के दौरान अत्यंत सटीक संतुलन कायम रखना चुनौतीपूर्ण था, ताकि न अत्यधिक रक्तस्राव हो और न ही खतरनाक रक्त के थक्के बनें।
सर्जरी के बाद मरीज को एक छोटे रक्त थक्के के कारण अस्थायी पक्षाघात का सामना करना पड़ा, लेकिन नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी और हेमाटोलॉजी टीमों के संयुक्त प्रयास से वह पूरी तरह ठीक हो गया। उसका क्रिएटिनिन स्तर अब सामान्य है और वह स्वस्थ जीवन की ओर लौट चुका है।
नारायणा हेल्थ—ईस्ट के निदेशक एवं क्लस्ट हेड श्री अभिजीत सी.पी. ने इसे पूर्वी भारत की चिकित्सा क्षमताओं को वैश्विक मंच पर स्थापित करने वाली ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। वहीं, ग्रुप सीओओ श्री आर. वेंकटेश ने कहा कि यह प्रत्यारोपण संस्था की बहु-विषयक विशेषज्ञता, नैतिक चिकित्सा और करुणामयी देखभाल के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
दुर्लभ चिकित्सा चुनौतियों से भरे इस मामले ने अब भारत और विदेशों के चिकित्सा विशेषज्ञों में व्यापक रुचि पैदा कर दी है।
